दुर्गा पूजा की पौराणिक कथाये, प्रतिम वर्णन और महत्व

दुर्गा पूजा की पौराणिक कथाये, प्रतिम वर्णन और महत्व 2019

दुर्गा पूजा की पौराणिक कथाये, प्रतिम वर्णन और महत्व :

आश्विन मास की सप्तमी की तिथि में ही माँ दुर्गा की पूजा प्रारंभ हो जाती है और अष्टमी एवं नवमी को समारोह चरम सीमा पर रहता है रोज सुबह एवं संध्या समय देवी की आरती होती है. हम आप को बता दे की दसमी के दिन बड़े ही धूम -धाम से प्रतिमा विसर्जन होता है. भारत के पश्चिम बंगाल में इस पूजा को बड़े धूम धाम से मानते है .

29 September, 2019- Navaratri begins, Kalash Sthapana, कलश स्थापना, नवरात्रि की शुरुआत, 6 October- Durga Ashtmi, Maha Ashtmi, Ashtmi, दुर्गा अष्टमी, महाअष्टमी, अष्टमी, 7 October- Durga Navami, Maha Navami, Navami, दुर्गा नवमी, महानवमी, नवमी, 08 October- Dusshera, Vijaydashmi, दशहरा विजयदशमी

दुर्गा पूजा का महत्व : अपना भारत वर्ष त्योहारों का देश है और यहाँ दुर्गा पूजा सामाजिक एकता के मूल आधार हैं . भारत वर्ष में कुछ पर्व तो विशेष क्षेत्र में ही सीमित होते हैं ,जबकि कुछ पर्व पूरे देश में मनाये जाते हैं . हम आप को बता दे की दुर्गा पूजा एक ऐसा पर्व है जो सम्पूर्ण देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता हैं. विशेष कर बंगाल में इस पूजा का अपना अलग महत्व है और यह पूजा वर्ष में दो बार मनाई जाती है .

1) वसंत काल में वसंत काल की पूजा को वसंत पूजा कहते हैं .

2) शरद काल में जो पूजा शरद काल में मनाई जाती है उसे शारदीय पूजा कहते है .

दुर्गा पूजा पौराणिक कथाये : ऐसा कहा जाता है कि महिसासुर नाम का एक असुर , देवताओं को बहुत कष्ट दिया करता था. महिसासुर के उपद्रव से सरे देवता स्वर्ग से भाग गए थे. देवताओं की प्रार्थना सुनकर महाशक्ति दुर्गा देवी ने महिसासुर राक्षस का वध किया था . इतना ही नहीं भगवान राम ने भी रावण का वध करने के लिए शरद काल में ही दुर्गा पूजा की थी.

दुर्गा माँ की प्रतिम वर्णन

दुर्गा माँ दस भुजाओं वाली एवं तीन नेत्र वाली हैं. ये सिंह पर सवार रहती है . ये गौर वर्ण की हैं . इसीलिए इनका नाम गौरी है. देवी माँ की दाहिनी ओर लक्ष्मी और गणेश तथा बायीं ओर सरस्वती एवं कार्तिकेय की प्रतिमा होती है .कुछ जगहों पर अस्त्र -शस्त्र की पूजा करते हैं. इस मौके पर रामलीला का आयोजन होता है .

नवरात्रि में नौ दिनों देवी मां के इन अलग-अलग नौ रुपों की पूजा की जाती है. नौ दिन उपवास के बाद नवमी या दसवीं पूजन किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करके नौ दिनों तक देवी दुर्गा की अराधना और व्रत का संकल्प लेते हैं. नवरात्रि के दौरान माता की चौकी और जगराते कर भजन कीर्तन किया जाता है.

  • माँ शैलपुत्री

  • माँ ब्रह्मचारिणी

  • माँ चंद्रघण्टा

  • माँ कूष्मांडा

  • माँ स्कंद माता

  • माँ कात्यायनी

  • माँ कालरात्रि

  • माँ महागौरी

  • माँ सिद्धिदात्री

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