Goverdhan puja aur shubh muhurt

गोवेर्धन पूजा(Goverdhan puja) 2020 कब है और क्यों मनाया जाता है ?

गोवेर्धन पूजा 15 Nov, 2020 को है, गोवेर्धन पूजा (goverdhan puja) दीपावली के एक दिन बाद ही मनाया जाता है। भगवत पुराण एवं भगवत गीता में गोवेर्धन लीलाओं(goverdhan lila) का वर्णन किया गया है। ब्रज वासीवों को इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कनिष्ठ ऊँगली के नाख़ून पर गोवेर्धन पर्वत को उठाया थे।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Ka Shubh Muhurat)

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Ka Shubh Muhurat) 15 नवंबर, रविवार – दोपहर 3 बजकर 19 मिनट से शाम 5 बजकर 27 मिनट तक।

गोवेर्धन पूजा व्रत पौराणिक कथा (pauranik katha)

पौराणिक कथाओं(paranik kthaon) के अनुसार -द्वापर युग में देवराज इंद्र की पूजा की जाती थी । एक बार देवराज इंद्र के पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण उस पूजा में आ पहुंचे और पूजा के बारे में जानना चाहा। तब ब्रजवासियों ने बताया कि यहां दर्ज इंद्र की पूजा की जा रही है। ब्रजवासियों की बातें सुन कर भगवान् कृष्ण ने कहा हमें इन्द्र की पूजा करके कोई लाभ नहीं होता। वर्षा करना तो उनका कर्म है। परन्तु गोवेर्धन पर्वत हमारी गायों को भोजन उपलब्ध कराता है। जिसकी वजह से हमारा वातावरण भी शुद्ध होता है। इसलिए हमें इंद्र की जगह गोवर्धा पर्वत की पूजा करनी चाहिए।

भगवान श्री कृष्ण की बात सुनकर सभी ब्रजवासियों ने गोवेर्धन पर्वत की पूजा करना सुरु कर दी। जिसके वजह से इंद्र क्रोधित हो उठे और देवराज इंद्र ने मेघों को आदेश दिया की ओ गोकुल को भारी वर्षा से विनाश क्र दें। इसके बाद गोकुल में भारी वर्षा होने लगी जिससे गोकुल वासी डर से भयभीत हो उठे। भगवान् श्री कृष्ण ने गोकुल वाशियो को गोवेर्धन पर्वत पर जाने को कहा।जिसके बाद श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी ब्रजवासियों की इंद्र से रक्षा की।

इंद्र ने अपने पुरे बल और शक्ति का पयोग किया परन्तु उनकी एक नहीं चली। उसके बाद जब इंद्र को यह पता चला की ओ भगवान श्री कृष्ण विष्णु भगवान् का ही अवतार है, तो उन्हें अपनी गलती का पछतावा हुआ। और वह भगवन कृष्ण से छमा मांगने लगे। तब से ही गोवेर्धन पर्वत को वशेष महत्व दिया गया।

गोवेर्धन पूजा( goverdhan puja rule ) का नियम

  • सबसे पहले गोवेर्धन पूजा के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • उसके बाद गाय के गोबर से गोवेर्धन मूर्ति बनाना चाहिए
  • इसके बाद भगवान गिरिजराज का स्मरण करते हुए अन्नकूट का भोग लगाना चाहिए।
  • इस दिन गाय और बैल का पूजा करना चाहिए।
  • उस दिन गाय और बैल को स्नान कराकर उनको धूप ,दीप ,फूल मालाओं से से पूजा करनी चाहिए।
  • उसके बाद उनकी आरती उतारे और मिठाईयों का भोग लगाया जाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Puja Mantra)

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।

हे कृष्ण करुणासिंधो दीनबंधो जगतपते।
गोपेश गोपिकाकांत राधाकान्त नमोस्तुते।

आरती श्री गोवर्धन महाराज(goverdhan aarti) की

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

और चकलेश्वर विश्राम

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।