Shiv Guru Ke Tin Sutra – शिव गुरु के तीन सूत्र

Shiv Guru Ke Tin Sutra

Shiv Guru Ke Tin Sutra

जाने उस तीन सूत्र के बारे में जो शिव गुरु से आपको जोडती है।

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1. दया मांगना – Daya Mangna

ये दया क्या होती है, क्यों मांगू ?

हम लोगो ने अपने निजी जीवन में देखा है की ,अधिकार क्षेत्र में कृपा शब्द का प्रयोग करते है ,परन्तु जैसे ही बात अधिकार क्षेत्र के बहार जाती है वैसे ही दया शब्द आ जाता है । कहने का तात्पर्य यह है की दया लेने किसी की अधिकार नहीं होती, वह दया करने वाला पर निर्भर करता है की दया करू की नहीं पर जब वह गुरु आपकी भावनाओ से याचनाओ को देखता है तो वह करुना मई गुरु दया करने पर बिबस हो जाता है और हम ये भी जानते है की कोई भी कार्य दया से ही सुरु होती है इशलिये दया माँगा जाता है ।

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कैसे मांगू दया ?

कहना है *हे शिव आप मेरे गुरु है मै आपका शिष्य मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये*
ये आप जितनी बार हो सके कर सकते है…..!!

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2. चर्चा करना – Charcha Karna

ये चर्चा क्या है, क्यों करे, फायदा क्या है, क्या चर्चा जरूरी है और कैसे करे ?

चर्चा क्या है ?

दो या दो से अधिक ब्यक्तियो के बिच होने वाली वार्तालाप को चर्चा कहते है । शिव चर्चा क्या है ? जब दो या दो अधिक लोग मिलकर शिव को अपना गुरु मानकर उनकी पूजा करते और उनकी महिमा की चर्चा करते है। इसे ही शिव चर्चा ( shiv charcha ) कहा जाता है।

क्यों करे चर्चा ?

हम लोग ने अपने निजी जीवन मे देखा है की सारी रिश्ते नाते सभी के सभी चर्चा से ही बन पाए है अगर चर्चा न होती जीवन मे तो क्या ये समाज ,ये भाई बहन, ये दोस्त मित्र कुछ नहीं होती, इसलिए जब हम शिव की चर्चा दो या दो से अधिक लोगो के बिच करेगे तो हमारी शिव से गुरु शिष्य का रिश्ता बन जायेगा और ये बताना तो नहीं पड़ेगा की गुरु शिष्य के लीये क्या करता है ।

फायदा क्या है ?

जरा सोचे पिता से रिश्ता होने के बाद क्या फायदा हुई है या फिर सारे रिश्ते के बारे मे सोचिये की इन सबो से क्या फायदा हुई है, ये जो आप समाज देखते है ये भी चर्चा का देन है। नहीं तो हम लोग इस समाज मे न होते। जब इतना कुछ चर्चा से हो सकती है तो क्या गुरु और हमारे बिच इस चर्चा से कुछ नहीं हो सकती, होगी वही जो और सब के साथ होती है रिश्ता कायम गुरु और शिष्य का और सोचिये जब हमारा रिश्ता शिव गरू से हो जाये तो क्या होगा हम शिव के सच मुच शिष्य हो जायेंगे जब शिष्य होंगे तो बताने की जरूरत तो नहीं क्या होगा वह सब जो आप सोच भी नहीं सकते .तो यही फायद होती है चर्चा से ।

कैसे करे ?

कुछ नहीं केवल कहना है की शिव मेरे गुरु है आपके भी गुरु शिव हो सकते है ” या आप जैसे भी उसे बताने मे सक्षम हो कर सकते है ।

3. नमन करना – Naman Karna

नमन क्यों करे, कैसे करे ?

हम सभी को मालूम है की नमन मतलब प्रणाम होता है और जब मैंने शिव को गुरु बना लिया तो नमन करना ही है या करते है । इसके लिए एक पंचाक्षर मंत्र है “नमः शिवाय ” इश मंत्र से आप कर सकते है, जैसे भी आपको सुबिधा हो 108 बार आगर करना चाहते है तो सही है आगर 108 नहीं हो रहा तो 5 मिनट कर सकते है जैसे भी हो ।

ये है साहब द्वारा प्रदत तीन सूत्र जो आके जीवन को शिव से जोड़ देगा और आप शिव का शिष्य हो जाइयेगा ।

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