सेना के खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले तेजबहादुर अपनी नौकरी ही नहीं बल्कि 22 वर्षीय युवा बेटे को भी खोया है। पढ़े पूरा मामला

सेना के खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले तेजबहादुर अपनी नौकरी ही नहीं बल्कि 22 वर्षीय युवा बेटे को भी खोया है सेना के खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले तेजबहादुर अपनी नौकरी ही नहीं बल्कि 22 वर्षीय युवा बेटे को भी खोया है

वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव की जिंदगी उठापटक वाली रही है। तेजबहादुर अपनी नौकरी ही नहीं, युवा बेटे को भी खो चुके हैं। वर्दी पहनकर सैनिकों को मिलने वाले भोजन की आलोचना करने के चलते तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया था।

18 जनवरी 2019 को रेवाड़ी के शांति विहार स्थित घर में उनके 22 वर्षीय बेटे रोहित की मौत हो गई थी। रोहित दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ता था। घटना वाले दिन तेजबहादुर प्रयागराज कुंभ गए थे। पुलिस ने रोहित के हाथ से पिस्टल बरामद की थी। पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला माना था। लेकिन परिवार का कहना है की उसके बेटे की हत्या की गयी है ।

उन्होंने खाने की गुणवत्ता को लेकर वीडियो बनाया था जो खूब वायरल हुआ। तेज बहादुर को 2017 में बीएसएफ से मुक्त कर दिया गया था। उन्हें सीनियर का आदेश न मानने, ड्यूटी के दौरान दो फोन रखने और वर्दी में तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने का दोषी पाया गया था।

तेज बहादुर वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। सोमवार को ही सपा ने उन्हें गठबंधन का प्रत्याशी बनाने का एलान किया है।

हरियाणा में महेंद्रगढ़ के राताकलां गांव में रहने वाले तेज बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानियों की फैमिली से है। उनके पिता शेर सिंह बताते हैं कि उनके पिता ईश्वर सिंह आजाद सुभाष चंद्र बोस के साथ रहते थे। हरियाणा सरकार ने उन्हें ताम्र पत्र देकर सम्मानित कर रखा है।

शेर सिंह के पांच बेटे हैं। उनका बड़ा बेटा सुभाष चंद गुजरात पुलिस में है। दूसरा बेटा कृष्ण दीप किसान है। तीसरे नंबर पर भीम सिंह है, जो बीएसएफ में है। वहीं चौथे स्थान नंबर का बेटा हनुमान है जो खेती करता है। सबसे छोटे हैं तेज बहादुर।

तेज बहादुर की पत्नी शर्मिला रेवाड़ी की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती है। उनका एक बेटा रोहित आईआईटी की तैयारी कर रहा है। तेज बहादुर के पिता शेर सिंह के पास 17 एकड़ जमीन है। वे परंपरागत तरीके से उस पर खेती कर रहे हैं।

तेज बहादुर के बारे में शेर सिंह बताते हैं कि वह अपने दादा की तरह शुरूआत से अधिकारों की बात करता था। इस वजह से अब वह सेना में जब भी कोई अधिकार की बात उठाता है तो सेना में अफसर उसके खिलाफ कार्रवाई करते हैं।

तेजबहादुर यादव आजकल फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नाम से एक एनजीओ चला रहे हैं। इस एनजीओ के बारे में तेज बहादुर ने बताया कि यह भारत के सभी सैनिकों के हितों के लिए बनाई गई एक संस्था है। जिस का कार्य देश के सभी सैनिकों के हितों की रक्षा के लिए कार्य करना है।

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