Aaj Ki Tithi – आज कौनसी तिथि है ?

हिन्दू पंचांग के अनुसार आज कौनसी तिथि है? कौनसा साल चल रहा है। तिथियों के अनुसार आने वाले कौनसा त्यौहार आ रहा है।

माघ कृष्ण पक्ष
विक्रम संवत 2077

आज कौनसी तिथि है ?

  • कृष्ण पक्ष अष्टमी सुबह 10:07 बजे तक और उसके बाद नवमी शुरू होगी।
  • राहु काल समय: प्रातः सुबह 11:13 बजे से दोपहर 12:35 तक
  • शुक्रवार, 05 फरवरी 2021
  • आज सूर्योदय समय 07:14 am
  • आज सूर्यास्त का समय : 06:32 pm

कल की तिथि

  • कल की तिथि शनिवार , 06 फरवरी 2021 और माघ कृष्ण पक्ष है।
  • कृष्ण पक्ष नवमी सुबह 8:13 बजे तक और उसके बाद दशमी शुरू होगी।
  • राहु काल समय: प्रातः 09:51 बजे से प्रातः 11:13 तक

किसी विशेष दिन के बारे में जानना चाहते है तो आप अपना प्रश्न पूछ सकते है ?

    तिथियों नाम

    • पूर्णिमा (पूरनमासी)
    • प्रतिपदा (पड़वा)
    • द्वितीया (दूज)
    • तृतीया (तीज)
    • चतुर्थी (चौथ)
    • पंचमी (पंचमी)
    • षष्ठी (छठ)
    • सप्तमी (सातें)
    • अष्टमी (आठें)
    • नवमी (नौमी)
    • दशमी (दसमी)
    • एकादशी (ग्यारस)
    • द्वादशी (बारस)
    • त्रयोदशी (तेरस)
    • चतुर्दशी (चौदस)
    • अमावस्या (अमावस)

    हिन्दू ज्योतिष में तिथियों की गणना में पंचांग का उपयोग होता है। पंचांग पांच चीजों से मिलकर बना है। दिन, तिथि, नक्षत्र, करण और योग। तिथि इन पांचो चीजों में सबसे महत्व पूर्ण है। चूंकि हिन्दुओ के सारे त्यौहार और मुहूर्त तिथियों के अनुसार होते है।

    तिथियों में क्षय और वृद्धि होती है। जिस कारण से कई त्यौहार दो दिन मनाये जाते है। हिन्दू पंचांग के महीनो में दो पक्ष होते है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसमें शुक्ल व कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से चतुर्दशी तक 14-14 तिथियाँ तथा पूर्णिमा व अमावस्या को मिलाकर 30 तिथियों का एक चंद्र मास का बनता है। पूर्णिमा शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि एवं अमावस्या कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि होती है। एक तिथि का समय सामान्यतः 60 घटी का होता है। किसी तिथि का क्षय या वृद्धि होना सूर्योदय पर निर्भर करता है। कोई तिथि, सूर्योदय से पूर्व आरंभ हो जाती है और अगले सूर्योदय के बाद तक रहती है तो उस तिथि की वृद्धि हो जाती है अर्थात् वह वृद्धि तिथि कहलाती है लेकिन यदि कोई तिथि सूर्योदय के बाद आरंभ हो और अगले सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाती है तो उस तिथि का क्षय हो जाता है अर्थात् वह क्षय तिथि कहलाती है।

    तिथि क्यों घटती-बढ़ती है ? तिथियों का निर्धारण सूर्य और चन्द्रमा की परस्पर गतियों के आधार पर होता है। जब सूर्य और चन्द्रमा एक स्थान (एक ही अंश) पर होते हैं तब अमावस्या तिथि होती है। इस समय चन्द्रमा, सूर्य के निकट होने के कारण या फिर अस्त होने के कारण दिखाई नहीं देते हैं तथा सूर्य और चंद्रमा का अंतर शून्य होता है। चन्द्रमा की दैनिक गति सूर्य की दैनिक गति से अधिक होती है। चन्द्रमा एक राशि को लगभग सवा दो दिन में पूरा कर लेता हैं जबकि सूर्य 30 दिन में एक राशि का भ्रमण कर पाते हैं। सूर्य, चन्द्रमा का अन्तर जब शून्य से अधिक बढ़ने लगता है तो प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाती है और जब यह अंतर 12 अंश होता है तो प्रतिपदा समाप्त हो जाती है और चंद्रमा उदय हो जाता हैं। तिथि वृद्धि और तिथि क्षय होने का मुख्य कारण यह होता है कि एक तिथि 12 अंश की होती है जिसे चन्द्रमा 60 घटी में पूर्ण करते हैं परन्तु चन्द्रमा की यह गति घटती-बढ़ती रहती है। कभी चन्द्रमा तेजी से चलते हुए (एक तिथि) 12 अंश की दूरी को 60 घटी से कम समय में पार करते हैं तो कभी धीरे चलते हुए 60 घटी से अधिक समय में पूर्ण करते हैं। जब एक तिथि (12 अंश) को पार करने में 60 घटी से अधिक समय लगता है तो वह तिथि बढ़ जाती है और जब 60 घटी से कम समय लगता है तो वह तिथि क्षय हो जाती है अर्थात् जिस तिथि में दो बार सूर्योदय हो जाए तो उस तिथि की वृद्धि और जिस तिथि में एक बार भी सूर्योदय नहीं हो उसका क्षय हो जाता है।

    तिथियों की क्षय और वृद्धि को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं-कैसे बढ़ती है तिथिजब किसी तिथि में दो बार सूर्योदय हो जाता है तो उस तिथि की वृद्धि हो जाती है।

    जैसे की किसी मंगलवार को सूर्योदय प्रातः 5ः48 मिनट पर हुआ और इस दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय के पूर्व प्रातः 5ः32 बजे प्रारंभ हुई और अगले दिन बुधवार को सूर्योदय (प्रातः 5ः47 मिनट ) के बाद प्रातः 7ः08 तक रही तथा उसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो गई। इस तरह मंगलवार और बुधवार दोनों दिन सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होने से तिथि की वृद्धि मानी जाती है। अष्टमी तिथि का कुल मान 25 घंटे 36 मिनट आया जो कि औसत मान 60 घटी या 24 घंटे से अधिक है। ऐसी परिस्थिति में किसी भी तिथि की वृद्धि हो जाती है।

    कैसी होती है क्षय तिथि जब किसी तिथि में एक बार भी सूर्योदय नहीं हो तो उस तिथि का क्षय हो जाता है। जैसे-किसी बुधवार को सूर्योदय प्रातः 5ः44 पर हुआ और इस दिन द्वादशी तिथि सूर्योदय के बाद प्रातः 6ः08 पर समाप्त हो गई एवं त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो गई और त्रयोदशी तिथि आधी रात के बाद 27 बजकर 52 मिनट (अर्थात् अर्धरात्रि के बाद 3ः52) तक रही तत्पश्चात् चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो गई। त्रयोदशी तिथि में एक भी बार सूर्योदय नहीं हुआ। बुधवार को सूर्योदय के समय द्वादशी और गुरूवार को सूर्योदय (प्रातः 5ः43) के समय चतुर्दशी तिथि रही, जिस कारण त्रयोदशी तिथि का क्षय हो गया।

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