Dhanteras Puja Vidhi Mantra Dhanatrayodashi Stroy Importance

जानिए कब है, धनतेरस 2020 की शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

धनतेरस 2020 की तिथि व शुभ मुहूर्त

धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर 2020, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर रात्रि 9:30 बजे से प्रारंभ और 13 नवंबर शाम 5:59 समापन

प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:26 बजे से रात्रि 8:05 बजे तक।

बृषभ काल की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:30 बजे से रात्रि 7:25 बजे तक।

इस बार दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरस ( Dhanteras )पौराणिक कथा

एक बार यमराज अपने यमदुतो से पूछा -कि क्या प्राणियों के प्राण लेते समय तुम्हे किसी पर दया आती है ?यमदुत ने संकोच में आकर बोले -नहीं !हम तो आप के आज्ञा का पालन करते है महराज। हमें दया भाव से क्या प्रयोजन ?

यमराज ने सोचा -कि सायद ये संकोच वस ऐसा बोल रहे हैं। अतः यमदुतो को निर्भय करते हुए यमराज बोले की -संकोच मत करो। यदि कभी तुम्हारा मन पसीजा तो निडर होकर बताओ। तब यमदूतों ने डरते डरते बताया – सचमुच !एक बार ऐसी एक घटना घाटी थी महाराज ,जब हमारा ह्रदय काँप उठा था।
ऐसी क्या घटना घाटी थी ?यमराज ने पूछा। दूतों ने कहा -महाराज! हंस नाम का राजा एक दिन शिकार के लिया गया। वह जंगल में अपने साथियों से बिछड़ कर भटक गया और दूसरे राज्य की सिमा में चला गया। फिर वहाँ के राजा ने राजा हंस का बड़ा सत्कार किया।

उसी दिन राजा हेमा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था। ज्योतिषियों ने नछत्र गड़ना करके बताया कि- यह बालक विवाह के चार दिन बाद ही मर जाएगा। उस बालक को राजा के आदेश से यमुना के तट पर एक गुफा में ब्रम्हचारी के रूप में रखा गया। उस तट पर स्त्रियों की छाया वि नहीं पड़ने दी गयी।
किन्तु बिधि का बिधान अडिग ही होता हैं। समय बीतता गया। एक दिन संयोग से राजा हंस की युआ बेटी यमुना के तट पर निकाल गयी और उसने उस ब्रम्हचारी बालक से विवाह कर लिया। जैसे ही चौथा दिन आया वैसे ही राजकुमार की मृत्यु हो गयी। हे महाराज (यमराज )!उस दिन उस नवपीडिता का करुड़ विलाप सुनकर हमारा ह्रदय काँप गया। ऐसी खूबसूरत जोड़ी हमने कभी नहीं देखि थी। वह जोड़ी कामदेव और रति से भी कम नहीं था उस युवक को कालग्रस्त करते समय हमारे भी आँख से आँशु निकल गए।

यमराज ने द्रवित भाव से कहे -हम क्या कर  सकते है ?बिधि का बिधान की मर्यादा हेतु हमें न चाहते हुए ऐसा  काम करना पड़ा। महाराज !-अचानक एक दूत ने पूछा -क्या अकालमृत्यु से बचने  उपाय नहीं है। यमराज ने अकाल मृत्यु से बचने का उपाय  कहा कि -धनतेरस के पूज अथवा  दीपदान को बिधि पूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल सकता है। जिस घर में यह पूजा  है ,वहाँ अकाल मृत्यु का भय पास भी नहीं आता। इस घटना  धनतेरस के दिन धन्वतरित पूजा सहित दीपदान की प्रथा का प्रचलन शुरू हुआ।

धनतेरस( Dhanteras ) के दिन किस देवता का पूजा किया जाता है ?

धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर सेहत की रक्षा और आयोग्य के लिए धन्वंतरि देव की प्रार्थना की जाती है। धनतेरस के दिन यमराज की भी पूजा की जाती है। पूरे साल भर यह  एक ऐसा दिन है।  जिसदीन  याम के देवता यमराज की पूजा की जाती है, और अकाल  मृत्यु से रच्छा की कामना की जाती है।

माना जाता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अवतार है ,जिन्होंने आयुर्वेद अवं चिकित्त्सा के लिए सृष्टि में अवतार लिए थे। देवताओ का वैद्य भगवन धनवंतरी को माना  जाता है। धनवंतरी स्वर्ण कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे इसलिए  धनतेरस पर बर्तन और धातु की सामान खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसा  माना गया है कि इस दिन विशेष विधि से धनतेरस की पूजा करने वाले लोगों को जीवनभर धन की कमी नहीं होती और उस इंसान का मान व् सम्मान बना रहता है।

धनतेरस( Dhanteras ) की पूजा विधि क्या है ?

धनतेरस स्कंदपुराण  अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में अपने घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का डर ख़त्म हो जाता है। इस दिन पूरे विधि विधान से माँ लक्ष्मी एवं धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि -इस दिन प्रदोषकाल में माँ लक्ष्मी जी की पूजा करने से लक्ष्मी माता घर में ही ठहर जाती है।

धनतेरस ( Dhanteras )पूजा की सामग्री

कमल के बीज ,मणि पत्थर ,सुपारी,लक्ष्मी -गणेश के सिक्के ,अगरबत्ती ,चूड़ी ,तुलसी पत्र ,पान ,चन्दन ,लौंग ,नारियल ,काजल,दाहिसरीफा ,धूप ,फूल, चावल ,रोली ,गंगा जल ,माला ,हल्दी ,शहद ,कपूर इत्यादि सामग्री की आवस्यकता होती है।

धनतेरस( Dhanteras ) के मंत्र

दीपदान करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए ।

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह । त्रयोदश्यां दिपदानात सूर्यजः प्रियतामिती ।।

धनतेरस ( Dhanteras ) मंत्र का अर्थ

त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु ,पाश ,दण्ड ,काल एवं लक्ष्मी के साथ सूर्यनंदन यम खुश हों।  इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

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