Kamakhya Temple History in Hindi

इस मंदिर में होती है मां की योनि की पूजा, जानिए वो वजह जिस कारण प्रसाद में बटती है खून की रुई
असम में एक मंदिर है जहां मां की योनि की पूजा की जाती है और यहां खून की रूई पाने के लिए लाखों भक्तों की भीड़ लगती है।

कामाख्या मंदिर में देवी की किस रूप की पूजा होती है? कौन है कामाख्या मंदिर की देवी? कामाख्या मंदिर की कहानी क्या है? जानिए कामाख्या के बारे मे।
कालिका पुराण के अनुसार कामाख्या मंदिर उस स्थान पर है जहाँ माता सती का योनी भाग गिरा था। क्या है माता सती के शरीर के टुकड़े होने की कहानी पढ़े।

देवी शक्ति का कामाख्या मंदिर जो की नीलांचल हिल , गुवाहाटी असम में स्थित है। कामाख्या मंदिर में मां की योनि की पूजा की होती है। कामाख्या मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तो को मिलत है खून की रुई। कामाख्या देवी के दर्शन के लिए लाखों भक्तों की भीड़ लगती है। असम का कामाख्या मंदिर दुनियाभर में अपनी तंत्र पूजा के लिए प्रसिद्ध है। विश्व प्रसिद्ध अंबुबाची मेला कामाख्या मंदिर में ही लगता है। पशुओ की बलि की परम्परा आज भी यह चलती है।

कालिका पुराण, कामाख्या को सभी इच्छाओं की उपज और पूर्ति का प्रतीक है। भगवान शिव की जीवनसंगनी माँ सती का यह स्थान मोक्ष प्रदान करने वाला है। माँ सती को ही कामाख्या के नाम से जाना जाता है।

माँ कामाख्या के इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां कामाख्या देवी की योनि के दर्शन करने से तमाम इच्छाएं पूरी होती है। कामाख्या मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं तो चलिए जानते हैं कामाख्या मंदिर की कहानी।

कामाख्या देवी करती हैं 3 दिन आराम

कामाख्या देवी को ‘बहते रक्त की देवी’ भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हर साल जून के महीने में कामाख्या देवी पीरियड्स होती हैं। ये देवी का एकमात्र ऐसा स्वरूप है जो नियमानुसार प्रतिवर्ष मासिक धर्म चक्र में आता है। मासिक घर्म चक्र के दिनों में कामाख्या देवी का मंदिर 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है। उनकी योनि से रक्त निकलता है और साथ ही उनके बहते रक्त से ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल हो जाता है।

प्रसाद में दी जाती है खून की रूई

कामाख्या मंदिर मासिक धर्म के समय तीन दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है। इसी दौरान मंदिर के आसपास ‘अम्बूवाची पर्व’ मनाया जाता है। यह समय तांत्रिक साधुओ और पुजारियों के लिए माँ की साधना करने और सिद्धि प्राप्त करने का अच्छा समय माना जाता है। साधु और पुजारी माँ की साधना करते हैं। कामाख्या मंदिर में मां के दर्शन करने आए लोग मां के मासिक धर्म के खून से लिपटी हुई रूई प्रसाद के रूप में लेते है।

माँ कामाख्या से जुड़ी कहानी

कामाख्या माता का जन्म माँ सती के योनि से हुआ है। इसकी पूरी कहानी माँ सती के पेज पर मिलेगी।
दूसरी महत्वपूर्ण बात जब भी आप कामाख्या मंदिर घूमने जाये तो पाएंगे की के पास मौजूद सीढ़ियां अधूरी हैं। लोगों का कहना है कि नराका नाम के एक राक्षस को कामाख्या देवी से प्यार हो गया था और वह शादी करना चाहता था। लेकिन कामाख्या देवी ने शर्त रखी कि अगर वो निलांचल पर्वत पर सीढ़ियां बना देगा तभी उससे शादी करेगी। माँ ने ऐसी लीला रची की वह सीढ़ियां कभी पूरी नहीं हुई। आज भी वह सीढ़ियां अधूरी है।