माँ कुष्मांडा की आरती नवरात्री के चौथे दिन की पूजा के लिये| जय कुष्मांडा माता लिरिक्स| चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते। जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है|

कुष्मांडा माता की आरती

चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते। जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है॥

आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप। इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार। पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार। उसको रखती दूर माँ, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए। शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ। नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ॥

जय माँ कुष्मांडा मैया। जय माँ कुष्मांडा मैया॥

नवरात्री के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा के दौरान यह आरती विशेष रूप से गायी जाती है । देखे नवरात्री के पांचवे दिन की आरती।

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