Ujjain Mahakal Facts, Mahakaleshwar Jyotirlinga Temple

महाकाल जय महाकाल का नाम लेते ही उज्जैन के महाकालेश्वर शिव मंदिर की झलक मन में आ जाती है। महाकाल शिव मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर शिवलिंग इस सृष्टि के बनने के समय से है जो सक्ष्ता शिव जी का रूप इस धरती पर है। उज्जैन महाकाल, महाकालेश्वर उज्जैन नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का कई पौराणिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है। भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है। महाकाल कि नगरी उज्जैन में कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा एवं दशहरे विशेष मेले लगते हैं। उज्जैन महाकाल मंदिर में शिवलिंग का श्रृंगार भस्म और भांग से किया जाता है। महाकालेश्वर शिव लिंग की भस्म आरती विश्व विख्यात है। जाने शिव जी का प्रिय निवास स्थान और पवित्र कैलाश मानसरोवर की पौराणिक मान्यता
पुराणों के अनुसार उज्जैन का नाम अवंतिका है। कालांतर में यह उज्जैन महाकाल की नगरी के नाम से जानी जाती है ।

Ujjain Mahakal Facts in Hindi – उज्जैन महाकाल

  1. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल में लिंगम को स्वयंभू (स्वयं का जन्म) माना जाता है।
  2. यहाँ, भगवान शिव को महाकालेश्वर रूप के रूप में पूजा जाता है जो शिव का एक उग्र रूप है।
  3. महाकालेश्वर रूप का उल्लेख शिवपुराण में मिलता है जब उज्जैन को अवंती कहा जाता था।
  4. गर्भगृह में शिवलिंग दक्षिणामूर्ति (दक्षिण की ओर मुख वाला) माना जाता है।
  5. भस्म आरती सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है महाकालेश्वर प्रसिद्ध है जिसके लिए सुबह 4.00 बजे पूजा की जाती है।
  6. प्राचीन ग्रंथों में भस्म आरती के लिए अंतिम संस्कार की चिता से एकत्र राख का उल्लेख है, लेकिन वर्तमान में, भस्म गोबर से बना है।
  7. मंदिर को पांच मंजिला इमारत कहा जाता है जिसमें गणेश, पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और नागचंद्रेश्वर जैसे देवताओं की उपस्थिति है।
  8. नागचंद्रेश्वर मंदिर केवल नाग पंचमी के दिन खोला जाता है।
  9. महाकाल को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर।

उज्जैन महाकाल से जुड़ी कहानी

बहुत पुराने समय की बात अवंतिका नगरी में एक ब्राह्मण रहता था। दूषण नाम के राक्षस ने अवंतिका के लोगो में भय और आतंक का माहोल बना रखा था। उस राक्षस को समाप्त करने के लिए ब्राह्मण ने भगवान शिव की तपस्या की। ब्राह्मण की तपस्या से भगवन शिव प्रसन्न हुए और शिव जी महाकाल के रूप में प्रकट हुए, और राक्षस का वध कर लोगो को दुखो से मुक्ति दिलाई। लोग ने भगवान शिव से अवंतिका में विराजमान रहने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने भक्तों की प्रार्थना करने पर महाकालेश्वर शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए। जिनके बारे में आप यह पढ़ रहे है।

उज्जैन महाकाल मंदिर कैसे पहुंचे?

इन्दौर एयरपोर्ट से उज्जैन लगभग 45 कि.मी की दूरी पर है। वहां से रेल या सड़क मार्ग से महाकाल मंदिर पहुंचा जा सकता है। देश के लगभग सभी बड़े शहरों से उज्जैन के लिए ट्रेन चलती हैं। दूसरे शहरो से उज्जैन पहुंचने के लिए सड़क मार्ग का भी प्रयोग किया जा सकता है।