बिहार में शिक्षा विभाग में 8 हजार 973 करोड़ रुपए का घोटाला

बिहार में शिक्षा विभाग में 8 हजार 973 करोड़ रुपए का घोटाला

पटना :  बिहार में शिक्षा के सुधार को लेकर नितीश सरकार जितना काम कर रही थी उसका रिजल्ट 8973 करोड़ रुपये घोटाले के रूप में देखने को मिल रहा है। हम आप को बता दे की बिहार में शिक्षा विभाग में करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आया है।

इस घोटाले की शुरआत साल 2011 से ही हो चुकी थी। इस बात का पता तब चला जब सरकार अपनी खर्च का हिसाब लगा रही थी। इस दौरान प्रदेश के कई जिले शिक्षा में हुए खर्च का लेखा-जोखा नहीं दे पा रही है। ये करीब 8 हजार 973 करोड़ रुपए का लेखा-जोखा है जो विभाग के अपर मुख्य सचिव को नहीं मिल पा रहा है और उन्होंने सभी जिलों के सम्बंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर खर्च की रिपोर्ट मांगी है। हम आप को बता दे की गुरुवार को खर्च का लेखा-जोखा बताने की आखिरी तारीख है।

हम आप को बता दे की बिहार सरकार शिक्षा क्षेत्र में उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है। जिसके तहत छात्र-छात्राओं को छात्रवृति , साइकिल, पोशाक और किताबें मुहैया कराई जा रही हैं। इसके लिए हर साल हजारों करोड़ का फंड जारी होता है। लेकिन इस फंड के तहत 2011 से अब तक कहां पे कितनी राशि खर्च हुई इसका कोई हिसाब नहीं दे पा रहा है।

हम सिर्फ सुपौल जिले की बात करें तो GFX IN मुख्यमंत्री छात्रवृति योजना में 2 करोड़ 9 लाख 100 रुपये का ब्योरा नहीं है। वहीं पर , मुख्यमंत्री साइकिल योजना में 18 करोड़ 85 लाख 500 रुपये का हिसाब नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं, इसी तरह मुख्यमंत्री पोशाक योजना में 14 करोड़ 76 लाख 500 और किशोरी स्वास्थ्य योजना में 1 करोड़ 73 लाख रुपये का हिसाब नहीं है।

जब से ए मामला सामने आया है तब से  इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठने लगी है। अब शिक्षा विभाग में पैसों की इस हेराफेरी के बाद सवाल उठ रहे हैं कि 7 सालों से सरकार ने हिसाब क्यों नहीं लिया? क्यों तत्कालीन अधिकारियों पर दबाव नहीं बनाया गया? क्या शिक्षा विभाग में हुआ है बड़ा घोटाला?

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