आलोक वर्मा सीबीआई निदेशक पद से हटाए गए, अब ये देखेंगे कामकाज

लगभग तीन महीने से सीबीआई के भीतर चल रहे आंतरिक घमासान के बीच गुरुवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमिटी ने बड़ा फैसला लिया और इस 3 सदस्यों की कमिटी ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया है। समिति के अन्य सदस्यों में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। जस्टिस सीकरी देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की तरफ से उपस्थित हुए। यह अहम बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली और आखिरकार कमिटी ने 2-1 से लिया बड़ा फैसला लिया और आलोक वर्मा पर गाज गिरी।

जैसा की हम आप को बता दे की नए डायरेक्टर की नियुक्ति होने या अगला आदेश आने तक CBI के अपर निदेशक एम. नागेश्वर राव एजेंसी चीफ का कामकाज देखेंगे। पद से हटाने के बाद आलोक वर्मा को फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का DG बनाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि भ्रष्टाचार और अपने कर्त्तव्यों की उपेक्षा करने के आरोप में CBI डायरेक्टर वर्मा को हटाया गया।

हम आप को बता दे की सिलेक्शन कमिटी ने 2-1 से यह फैसला लिया। जिसमे मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले का विरोध किया। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस सीकरी ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ जांच की जरूरत है। गौर करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ही आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था। बता दे की वर्मा 1979 बैच के AGMUT काडर के आईपीएस अफसर हैं। बड़ी बात यह है की सीबीआई के इतिहास में पहली बार है जब एजेंसी चीफ के खिलाफ इस तरह का ऐक्शन हुआ है। CVC रिपोर्ट में वर्मा पर 8 आरोप लगाए गए थे, जिसे कमिटी के समक्ष रखा गया था।

बता दे की उच्चस्तरीय समिति की बैठक से पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की जांच रिपोर्ट सहित कई दस्तावेज मांगे हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मैंने मामले में सीवीसी की जांच रिपोर्ट सहित कुछ दस्तावेज देने के लिए कहा है।’ उन्होंने कहा था कि आलोक वर्मा को भी समिति के सामने उपस्थित होने का मौका मिलना चाहिए और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देना चाहिए।