Chaitra Purnima Date, Vrat Puja Vidhi and Significance

chaitra purniam tithi vrat muhurat kahani

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व है इस में भी चैत्र पूर्णिमा बहुत ही खास है क्योंकी चैत्र पूर्णिमा की तिथि को सबके प्यारे राम के दुलारे हनुमान जी का जन्म हुआ था जिसको की हनुमान जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है।

चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त तिथि

Chaitra Purnima onWednesday, April 8, 2020
Purnima Tithi Begins12:01PMonApr 07, 2020
Purnima Tithi Ends08:04AMonApr 08, 2020

चैत्र पूर्णिमा पर किया जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य

  • चैत्र पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुनने से विशेष लाभ मिलता है और इस पूर्णिमा पर उपवास रखने से घर में सुख और समृद्धि आती है।
  • चैत्र पूर्णिमा के चंद्रमा की स्तुति करने से जनम कुंडली से चंद्र दोष खत्म हो जाता है।
  • चैत्र पूर्णिमा जो की हनुमान जयंती का दिन है तो इस दिन हनुमान जी की विधि पूर्ण पूजा करने से घर में सुख शांति का वास होता है। हर तरह के संकट मिट जाते हैं।
  • चैत्र पूर्णिमा पर पवित्र नदी में, सरोवर में, जलकुंड में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दान, मंत्र जप, हवन और व्रत भी किया जाता है। इस दिन गरीबो को दान और असहायों की मदद करनी चाहिए।
  • इस दिन श्रीमद् भागवत गीता या रामायण पढ़ने का भी बहुत महत्व है।

चैत्र पूर्णिमा व्रत पूजन नियम

प्रातः काल नित दैनिक क्रिया से निवृत होकर, स्नान करने के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। उसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्य नारायण की कथा सुने, और आरती करे।

चैत्र पूर्णिमा से जुड़ी कहानी

वैदिक परंपरा के अनुसार, बृहस्पति देवताओं के राजा, इंद्र के संरक्षक या उपदेशक हैं। एक बार, इंद्र ने अपने गुरु की अवज्ञा की। इसलिए, उसे सबक सिखाने के लिए, बृहस्पति ने अस्थायी रूप से इंद्र को अपनी सलाहकार भूमिका दी। बृहस्पति की अनुपस्थिति में, इंद्र ने कई गलत काम किए। जब बृहस्पति ने अपना कर्तव्य फिर से शुरू किया, इंद्र ने जानना चाहा कि गलत कर्म से छुटकारा पाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। बृहस्पति ने इंद्र को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए कहा।

जब इंद्र देव तीर्थ यात्रा पर थे, इस दौरना उन्होंने देखा कि दक्षिण भारत के मदुरै के आस पास पाप का असर ख़त्म हो रहा हैं। खोजने पर उन्होंने पाया की उस स्थान पर एक शिव लिंग है। भगवान इंद्र ने इस शिवलिंग का चमत्कार माना जिसकी वह से यह पर पापो का नास होता है, और उन्होंने उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया। जब इंद्र देव उस शिव लिंग की पूजा कर रहे थे तभी भगवान शिव ने चमत्कारी रूप में पास के तालाब में सोने का कमल खिलाया, और जिसे भगवान इंद्र कृतज्ञ हो गए। यह दिन चित्रा पूर्णिमा थी।

चेतावनी : पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ही नहीं बल्कि बाकि सभी दिनों भी शराब आदि नशे से दूर रहना की सलाह दी जाती। ये सब आप के परिवार पर साथ ही आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

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