Janmashtami in Mathura

Janmashtami in Mathura

LIVE Krishna Janmashtami. मथुरा में जन्माष्ठमी आज मनाई जाएगी।
मथुरा के मंदिरो में कोरोना काल के बाद मानेगी धूम धाम से जन्माष्टमी । कोरोना काल में मंदिरो में प्रवेश नहीं कर पाएंगे थे श्रद्धालु। दो सालो के बाद पहली बार लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव है । आप सभी की श्री कृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये।

मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्म भूमि हैं, कहा जाता हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार मे हुआ था। Shri Krishna Janmashtami 2022 in Mathura – मथुरा मे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पवित्र अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की मनमोहक शोभा को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ पहुचते हैं।

मथुरा मे कैसे मनाई जाती हैं कृष्ण जन्माष्टमी

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव पर पूरा मथुरा कृष्णामय हो जाती हैं।इस लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा नगरी भक्तों के रंगों से सराबोर हो जाती हैं। मथुरा मे इस बार जन्माष्टमी की उत्सव पूरी भव्यता के साथ आठ दिनों तक मनाया जायेगा।कृष्ण भक्तों के लिए ये दिन बहुत खास होता हैं इस दिन मथुरा मे खासतौर पर विशेष आयोजन होता हैं और हर साल लाखों भक्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार पर यहाँ पहुंचतें हैं। मथुरा मे भगवानश्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव पूरी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं,श्रीकृष्ण की याद मे और उनके बाल रूप को पूजने के लिए यह पावन त्यौहार मनाया जाता हैं।जन्माष्टमी को सबसे अच्छा वा सुसज्जित ढंग से मथुरा मे मनाया जाता हैं इस दिन मथुरा कि सड़कों को फूलों से सजा दिया जाता हैं और मथुरा के सभी शहर के मंदिरो को भव्य रूप से सजाया जाता है। मथुरा मे सभी युवा युवक रासलीला करते हैं और बच्चे भगवान श्रीकृष्ण के बालक रूप की झाकी को प्रदर्शित करते हैं। गोकुल वह जगत हैं जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन के दिन बिताये थे इसलिए वहाँ भी जन्माष्टमी बड़ें धूमधाम से मनाया जाता हैं। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त कृष्ण के भजन के साथ-साथ नृत्य व रासलीला भी करते हैंऔर झांकी भी प्रदर्शित करते हैं।इन सभी मे सबसे मुख्य प्रतिभा कृष्ण जन्म भूमि मंदिर होता हैं जो रात के समय रोशनी से जगमगा उठता हैं।मथुरा मे विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं जिसमें सभी लोग भाग लेते हैं; जैसे-रासलीला,नृत्य,भजन,दही हांडी की परम्परा

इसके अलावा वृन्दावन , बरसाना एवं गोकुल मे भी अत्यधिक आस्था एवं हर्ष के साथ मनाया जाता हैं।

” श्रीकृष्णा गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव

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