मारो-मारो के नारे के साथ ली जांबाज इंस्पेक्टर की जान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी के शक में हिंसा ऐसी भड़की कि तीन गांवों की भीड़ जान लेने पर उतारू हो गई। हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक आम नागरिक की मौत हो गई इतना ही नहीं, उपद्रवियों ने पुलिस चौकी फूंक दी और दर्जनों वाहनों को आग के लगा दिया. इस मामले भीड़ किस तरह से उग्र हो गई और उसने पुलिस पर हमला कर दिया, जिसमें भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की जान ले ली

अवैध हथियारों, लाठी-डंडों से लैस भीड़ ने जान से मारने की नीयत से हम पर हमला कर दिया। प्रभारी निरीक्षक सुबोध सिंह को गोली मार दी गई और उन्हें घेरकर उनकी निजी लाइसेंसी पिस्टल और तीन मोबाइल फोन छीन लिए गए और वायरलैस सेट तोड़ दिए गए। चौकी में तोड़फोड़ की गई और रिकॉर्ड्स और वाहनों में आग लगा दी गई। स्याना क्षेत्राधिकारी जब अपनी जान बचाने के लिए चौकी के कमरे में घुसे तो भीड़ ने चौकी को ही आग के हवाले कर दिया। पुलिस अपनी रक्षा के लिए लगातार पीछे हट रही थी और भीड़ ‘मारो-मारो’ के नारे के साथ लगातार हमारी ओर बढ़ रही थी।

एफआईआर में बताया गया है, ‘3 दिसंबर को हमें गोकशी की सूचना मिली थी। जिसके बाद हम लोग वहां पहुंचे, वहां भीड़ काफी गुस्से में थी। भीड़ में शामिल पुरुष और महिलाएं विरोध कर रहे थे। जिस पर प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह ने भीड़ को काफी समझाया। लेकिन भीड़ नहीं मानी और पथराव कर दिया। मौके पर मौजूद एसडीएम और क्षेत्राधिकारों ने भीड़ को लाउड स्पीकर के जरिए समझाते रहे कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इसके बाद भी भीड़ और ज्यादा उग्र हो गई. एफआईआर में मुख्य आरोपी योगेश राज (नेता बजरंग दल) ने भीड़ को हमले के लिए उकसाया।

घायल प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को जब सरकारी गाड़ी में बैठाया जा रहा था को भीड़ ने दोबारा से हमला कर दिया। इसमें कई पुलिसवालों को चोट पहुंची। इसके बाद कमरे में बंद क्षेत्राधिकारी ने आत्मरक्षा के लिए कंट्रोल रूम से और ज्यादा फोर्स मांगी। जब फोर्स पहुंची तो उसने दरवाजा तोड़कर क्षेत्राधिकारी स्याना की जान बचाई। घायल प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को सीएचसी लखावटी (औरंगाबाद) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस घटना का मुख्य आरोपी योगेश राज का संबंध बजरंग दल से है। मामले में योगेश राज के साथ-साथ करीब 80 से 90 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से 27 लोग नामजद हैं, वहीं 50 से 60 लोग अज्ञात हैं। भीड़ की हिंसा मामले में पुलिस ने अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और 4 को हिरासत में लिया है।