युपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भ्रष्टाचार और कार्य में ढिलाई को लेकर बेहद सख्त नजर आ रहे हैं। इसकी बानगी आज सात पीपीएस अफसरो को नौकरी से बर्खास्त करके दिखा दी गई है। शासन ने सात पुलिस उपाधीक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्त दी है. प्रदेश सरकार ने सहायक सेनानायक 15वीं वाहिनी पीएसी आगरा अरुण कुमार, फैजाबाद में डिप्टी एसपी विनोद कुमार राणा, आगरा में डिप्टी एसपी नरेंद्र सिंह राणा, सहायक सेनानायक 33वीं वाहिनी पीएसी झांसी तेजवीर सिंह यादव, डिप्टी एसपी मुरादाबाद संतोष कुमार सिंह तथा सहायक सेनानायक 30वीं वाहिनी पीएसी गोंडा में कार्यरत तनवीर अहमद खां को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई है। इन सभी की आयु 50 वर्ष या इससे अधिक है और इनके ऊपर कार्य में शिथिलता बरतने व दूसरे कई आरोप लगे हैं.
इतना ही नहीं सरकार ने स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर निर्णय लेते हुए इन अफसरों को सेवानिवृत्ति दे दी। हर विभाग में सुस्त तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. इससे पहले प्रदेश सरकार ने 16 नवंबर 2017 को 50 साल से अधिक उम्र के 16 दागदार अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें जबरन रिटायर कर दिया था। इसमें तीन डीएसपी भी शामिल थे। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले दो वर्ष के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कार्रवाई की है, वह दूसरे प्रदेशों के लिए नजीर बनेगी। पिछले 2 वर्षो में योगी सरकार अलग-अलग विभागों के 200 से ज्यादा अफसरों और कर्मचारियों को जबरन रिटायर कर चुकी है।
हम आप को बता दे की इन दो वर्षो में योगी सरकार ने 400 से ज्यादा अफसरों, कर्मचारियों को निलंबन और डिमोशन जैसे दंड भी दिए हैं। उन्होंने बताया कि योगी सरकार ऊर्जा विभाग में 169 अधिकारियों, गृह विभाग के 51 अधिकारियों, परिवहन विभाग के 37 अधिकारियों, राजस्व विभाग के 36 अधिकारियों, बेसिक शिक्षा के 26 अधिकारियों, पंचायतीराज के 25 अधिकारियों, पीडब्ल्यूडी के 18 अधिकारियों, श्रम विभाग के 16 अधिकारियों, संस्थागत वित्त विभाग के 16 अधिकारियों, वाणिज्य कर विभाग के 16 अधिकारियों, मनोरंजन कर विभाग के 16 अधिकारियों, ग्राम्य विकास के 15 अधिकारियों, वन विभाग के 11 अधिकारियों पर कार्रवाई कर चुकी है।