Yogini Ekadashi Vrat 2020 – योगिनी एकादशी व्रत 2020

Yogini Ekadashi Vrat

Yogini Ekadashi Vrat 2020   

इस बार योगिनी एकादशी व्रत 17 जून 2020 को रखा जायेगा। Yogini Ekadashi Vrat हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। एकादशी व्रत में योगिनी एकादशी व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। कहा जाता है की इस व्रत के करने से जो फल प्राप्त होता है वो नब्बे हज़ार ब्राम्हणो को भोजन कराने के बराबर होता है। Yogini Ekadashi Vrat करने वाले भक्तो के उपर भगवान विष्णु की बहुत ही ज्यादा कृपा होती है।

जाने जाया एकादशी व्रत ( Jaya ekadashi vrat ) की महिमा और व्रत कथा 

पढ़े Ekadashi Mata Ki Aarti om jai ekasasi mata 

Yogini Ekadashi Vrat Shubh Muhurt 2020

Yogini Ekadashi Vrat  शुभ मुहूर्त पर ही रखना चाहिए। 

एकादशी तिथि आरंभ: 16 जून प्रात: 5:40 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 17 जून सुबह 7:50 तक
पारण ( Paaran  ) : 18 जून प्रात: 5.28 बजे के बाद

Yogini Ekadashi Vrat Katha

योगिनी एकादशी व्रत कथा के अनुसार स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहते थे। कहा जाता था की वे भगवान शिव के भक्त थे और नित प्रतिदिन वे शिव की पूजा किया करते थे। वही एक हेम नाम का एक माली रहता था जो की पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की एक पत्नी थी जिसका नाम विशालाक्षी था। वह बहुत सुन्दर थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया परन्तु खूबसूरत होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा घूमने फिरने करने लगा।

इधर राजा कुबेर उसकी दोपहर तक राह देख रहा था। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली से पूछो की वो इतनी देर क्यों कर है और उसके न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर क्रोधित हो गया और हेम माली को बुलाने को कहा।

हेम माली राजा ऐसी पुकार से डर गया और भय से कांपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘ अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जायेगा। ’

राजा कुबेर के इस श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर आ गिर गया। पृथ्वी के तल पर आते ही उसके शरीर में सफ़ेद कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्यु लोक में आकर माली के ऊपर मानो दुखों का पहाड़ टूट गया। वह जंगल में बिना अन्न और जल के भटकता रहा।

रात को नीद भी नहीं आती थी, लेकिन शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान अवश्य रहा। इधर उधर घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया, जो ब्रह्मा से भी अधिक वृद्ध थे और जिनका आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान लगता था। हेम माली वहां जाकर उनके पैरों में गिर पड़ा ।

हेम को देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। तो हेम माली ने सारा आप बीती सुनायी। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे।

यह सुनकर हेम माली बहुत प्रसन्न हुआ और मार्कण्डेय ऋषि को साष्टांग प्रणाम किया। मुनि ने उसे स्नेह के साथ उठाया। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

अपरा एकादशी व्रत, पौराणिक कथा और शुभ मुहूर्त 

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